26 January Shayari In Hindi
गणतंत्र दिवस भारत में हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है, 1950 से उस तारीख को सम्मानित करने के लिए जिस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत 200 वर्षों से ब्रिटिशों का उपनिवेश था और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के बाद ब्रिटिश राज के शासन से स्वतंत्र हो गया। 14 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया, फिर भी इसका कोई स्थायी संविधान नहीं था, और भारतीय कानून ब्रिटिश स्थापित सरकार के संशोधित संस्करण, भारत सरकार अधिनियम 1935 के संशोधित संस्करण पर आधारित थे।
26 January Shayari In Hindi
विरो का खून मिला जब इस धरती पर
तब जाकर देश आजाद हुआ
सलाम करो उन विरो को
जिनकी सहादत से देश आजाद हुआ
नफरत है बुरी बात ना पालो इसे
दिलो में जो बुराई है निकालो उसे
ना मेरा ना तेरा ना इनका ना उनका
ये सबका वतन है सभलो इसे
ना जियो धरम के नाम पर
ना मारो धरम के नाम पर
इंसानियत ही है धर्म वतन का
बस जिओ वतन के नाम पर
कुछ नशा तिरंगे की आन का
कुछ नशा मातृभूमि की शान का
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा
है ये नशा हिंदुस्तान की शान का
तैरना है तो समुंदर में तैरो
नदी नालों में क्या रखा है
प्यार करना है तो वतन से करो
इन बेवफा लोगों में क्या रखा है
दाग गुलामी का धोया है, जान लुटा कर लाए हैं
कितने दीप बुझा कर मिली है यह आजादी
फिर इस आजादी को रखना होगा आज हर एक दुश्मन से बचाकर
सुनहरा रंग है गणतंत्र का,
ऐसे शहीदों के लिए हम सर झुकाते हैं
नहीं सिर्फ जश्न मनाना, नहीं सिर्फ झंडे लहराना,
ये काफी नहीं है वतन पर, यादों को नहीं भुलाना,
जो कुर्बान हुए उनके लफ़्ज़ों को आगे बढ़ाना,
खुदा के लिए नही ज़िन्दगी वतन के लिए लुटाना,
हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
आज शहीदों ने है तुमको, अहले वतन ललकारा,
तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा,
हिन्दू-मुस्लिम-सिख हमारा, भाई-भाई प्यारा,
यह है आजादी का झंडा, इसे सलाम हमारा
तैरना है तो समंदर में तैरो
नदी नालों में क्या रखा है,
प्यार करना है तो वतन से करो
इस बेवफ़ा लोगों में क्या रखा है
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
गूंज रही है दुनिया में भारत न नगाडा
चमक रहा है आसमान में देश का सितारा
आजादी के दिन आओ मिल कर करे दुआ
यही की बुलंदियों पा लहरता रहे तिरंगा हमरा
करीब मुलकत के आओ तो कोई बात बने
बूझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने
सुख गया है जो लाहू शाहिदो का
उसमे अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने
चलो फिर से खुद को जागते है,
अनुसासन का डंडा फिर घुमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र का सहिदो के लहू से,
ऐसे सहिदो को हम सब सर झुकाते है
आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जब ख़तम हो जाऊंगा
मेरी पहचान लिख देना
मेरे कफ़न पे मेरे खून से
हिंदुस्तान लिख देना
न सर झुका है कभी,
और न झुकेगा कभी,
जो अपने दम पर जिए,
सच मैं ज़िन्दगी है वही
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