Horror Story in Hindi
हेलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे इस ब्लॉग में आज हम आपको एक बेहद ही रहस्यमयी और भूतिया कहानी से रूबरू करने वाले है, जिसे जानकार आप सभी हैरत में पड़ जायेंगे | दोस्तों वैसे तो भूत प्रेत और सुपर नेचुरल पावर्स को मानना या ना मानना किसी इंसान के विश्वास का विषय है | जहाँ कुछ लोग भूत प्रेत के ओचित्त पर विश्वास करते है और उनसे डर कर रहते है वही कुछ लोग इनको कोरी बकवास मानते है और सुपर नेचुरल जैसी किसी भी चीजों को सिरे से नकार देते है | हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही व्यक्ति की है जो एक समय पैर भूत प्रेत जैसी किसी भी चीज़ पर विश्वास नहीं करता था लेकिन 2010 की एक सर्द रात ने उस व्यक्ति की सोच को पूरी तरह बदल दिया और समय के साथ ही उसको मानना पड़ा की ऐसी अनजान शक्तियां भी होती है और ये शक्तियां अपना वजूद साबित करने के लिए किसी के विश्वास की मोहताज नहीं होती |
Horror story in Hindi:-
ये कहानी भी ऐसे ही एक व्यक्ति की है जो भूत प्रेत पैर विश्वास नहीं करता था |
"36 वर्षीय इस व्यक्ति का नाम रघुवेन्द्र था, रघुवेन्द्र भोपाल का रहने वाला था और रघुवेन्द्र भोपाल राजा भोज एयरपोर्ट पर ग्राउंड स्टाफ के तौर पर काम करता था | स्वाभाव से हसमुख और तर्कों पर विश्वास करने वाले रघुवेंद्र ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की एक रात में उसके इन तर्कों पर से विश्वास उठ जायेगा |
दिसम्बर की उस सर्द रात में रघुवेन्द्र रोज की तरह ही अपना काम ख़तम करके घर की ओर निकला लेकिन एयरपोर्ट से कुछ ही दूर चलते ही उसकी बाइक अचानक खराब हो गयी फिर रघुवेन्द्र ने अपनी बाइक एक सुरक्षित जगह पर खड़ी करके आगे का रास्ता बस से पूरा करने का निर्णय किया | कुछ दूर चलते ही रघुवेन्द्र बस स्टॉप पर पहुंच गया जहाँ रघुवेंद्र और एक साधू के अलावा कोई नहीं था अपने हसमुख और बातूनी स्वभाव के कारण रघुवेन्द्र की उस साधू से बात होने लगी और बातों का सिलसिला भूत प्रेत और आत्माओं तक जा पंहुचा | रघुवेंद्र इन बातों के शुरू होते ही अपना नजरिया उस साधू के सामने रखने लगा और उस साधू के साथ तर्क-वितर्क करने लगा साधू बार-बार रघुवेन्द्र को ये समझाने की कोशिश करने लगा की भूत प्रेत होते है और अगर कोई उनके चंगुल में फस जाता है तो उसको अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है, पर रघुवेन्द्र नहीं माना और बातों ही बातों में रघुवेन्द्र ने कुछ ऐसा बोल दिया जिससे उस साधू को बुरा लग गया | तब साधू ने अपने सच्चई बताते हुए बोला की वो एक मामूली साधू नहीं है वह एक अघोरी साधू है और अपनी साघना से बहुत सी सिध्दियों को प्राप्त कर चूका है, उसने दवा किया की वो अपनी शक्तियों से भूत प्रेत से बात कर सकता है और उन्हें वश में कर सकता है यह सुनकर रघुवेन्द्र उसका मज़ाक उड़ाने लगा |
यह सब सुनकर साधू ने रघुवेन्द्र से कहा की अगर वो चाहे तो पास के शमशान में चलकर देख सकता है और अघोरी साधू अपनी बातों को सच साबित कर सकता है, रघुवेंद्र ने आवेश में आकर साथ चलने के लिए हामी भर दी वह नहीं जानता था की उसका ये फैसला उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह बदल सकता है |
उन दोनों ने शमशान जाने का फैसाला किया जो की रघुवेन्द्र के घर से कुछ ही दूरी पर था | वहां पहुंचकर उस अघोरी ने अपनी क्रिया को करना शुरू किया | अघोरी ने ज़मीन में एक छड़ी गाडी और उस छड़ी में एक धागा बांधा और उस धागे को रघुवेन्द्र के हाथ में बांधकर उसको भी ज़मीन पर बिठा दिया | उस अघोरी ने रघुवेन्द्र को शख्त हिदायत दी की अब आगे कुछ भी हो वो उस धागे को नहीं छोड़े, अभी तक रघुवेन्द्र थोड़ा डरा था लेकिन अभी भी उसे लग रहा था की शायद ये सब नाटक है और वो साधू अपने आपको साबित नहीं कर पायेगा | उधर उस साधू ने छड़ी के पास एक कतार में कुछ पताशे और चीनी रख दी और मंत्र पढ़ने लगा |
मंत्र पड़ते वक़्त साधु के हाव भाव देखकर रघुवेन्द्र अब डरने लगा लेकिन वो तय कर चूका था अब चाहे जो भी वो उस धागे को नहीं छोड़ेगा, कुछ ही देर में साधू ने रघुवेन्द्र को अपनी आँखे बंद करने को कहा और फिर मंत्र पूरा होते ही आँखे खोलने को कहा |
मंत्र पूरा होते ही जब रघुवेंद्र ने आँखे खोली तो नज़ारा देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए धागे के नीचे रखे हर खाने के पास एक-एक आत्मा बैठी थी, जिनके आर-पार देखा जा सकता था ये देखकर उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी तभी उस साधू ने कहा की ये उन्ही लोगों की आत्मा है जिन्हे इसी शमशान में जलाया गया है, एक बार फिरसे रघुवेन्द्र को चेतावनी दी की जबतक ये आत्माएं अपने आगे रखे खाने को खा नहीं लेती तबतक धागे को नहीं छोड़ना है लेकिन अबतक रघुवेन्द्र डर के मारे कांपने लगा था और घबराहट में उसके हाथसे वो धागा छूट गया | हाथों से धागा छूटते ही रघुवेन्द्र घर की ओर भागा, रघुवेन्द्र को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था की उसने अभी मर्त लोगो को देखा जिनमे कुछ की मौत तो वो खुद अपनी आँखों से देख चूका था जब वह घर की तरफ भाग रहा था तब उसे ऐसा लग रहा था की कोई उसका पीछा कर रहा है कभी उसे भीड़ के शोर की आवाज आती तो कभी उसको ऐसा लगता की कोई उसको आवाज दे रहा है | जैसे तैसे रघुवेन्द्र अपने घर पंहुचा और घर जाके उसने अपने माता पिता को पूरा वाक्या सुनाया, रघुवेन्द्र की हालत देखकर उसके माता पिता को भी उसकी बातों पर हामी भरनी पड़ी | उन्होंने सबकुछ ठीक होने का हवाला देके रघुवेन्द्र को सुला दिया लेकिन अगली सुबह का नज़ारा तो और भयानक था रघुवेन्द्र सोया थो अपने घर में था लेकिन रघुवेन्द्र सुबह उसी शमशान में मिला और अभी भी वो धागा उसके हाथों में था जब उसे उठाकर उससे पुछा तो पाया की रघुवेन्द्र बहकी-बहकी बातें कर रहा था और डॉक्टरी जांच में भी पता चला की रघुवेन्द्र अपना दमागि संतुलन खो चूका है |
आज भी रघुवेन्द्र के माता पिता उस रात को याद करके सहम जाते है और आज भी ये राज बना हुआ है की रघुवेन्द्र उस शमशान में कैसा पंहुचा और कौन था वो अघोरी साधू"...
Horror story in hindi
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1 Comments
Wowwww welll done my boy keep it up👏👏🤗 interesting story
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